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प्रधानमंत्री ने दिया राजनेताओं और ऊंचे औहदे पर बैठे अफसरों को बड़ा संदेश, बिना किसी तामझाम के पुत्र धर्म और राजधर्म का किया पालन

प्रधानमंत्री ने दिया राजनेताओं और ऊंचे औहदे पर बैठे अफसरों को बड़ा संदेश, बिना किसी तामझाम के पुत्र धर्म और राजधर्म का किया पालन


हिंदूवादी। न्यूज
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी माता हीरा बेन के निधन पर बड़ा संदेश लोगों और देश के राजनेताओं को दिया है। उनकी माता का अंतिम संस्कार बिना किसी तामझाम के बड़े ही सादे तरीके से आयोजित किया गया। उनके रिश्तेदारों और कुछ जानने-पहचानने वाले लोगों के अलावा कोई शामिल नहीं हुआ। केंद्रीय मंत्री से लेकर प्रदेशों के मुख्यमंत्री और अन्य वीवीआईपी को आयोजन में शामिल होने से पहले ही मना कर दिया गया था। इतना ही नहीं किसी प्रकार से सरकारी तंत्र का दुरुपयोग तक नहीं किया। इस बीच पश्चिम बंगाल में उन्होंने वर्चुअल जुड़कर वंदेभारत ट्रेन का उद्घाटन भी किया। इस प्रकार पुत्र धर्म के साथ राजधर्म का भी पालन किया। वर्तमान में इस प्रकार का कार्य करने वाले बिरले ही नेता है।
इससे पहले जवाहर लाल नेहरू ने दिया था संदेश
इससे पहले एक देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने एक संदेश दिया था। उन्होंने लोकतंत्र की खूबसूरती के लिए निंदा और आलोचना का अपना स्थान बताया और इसे जिया भी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसकी पुष्टि की थी। उन्होंने सदन में कहा था कि आपमें और हममें मत भेद हो सकते हैं, लेकिन एक इंसान से दूसरे इंसान के मन में भेद कभी नहीं होना चाहिए। इंसान बनकर जन्म लिए हैं तो आपस में प्रेम का भाव जरूरी है। इसे लेकर उन्होंने नेहरू जी का उदाहण भी दिया। उन्होंने कहा कि सदन में एक बार नेहरू जी से उनके किसी बात को लेकर जमकर बहस हो गई। नेहरू जी भी काफी नाराज हुए। सदन से उठकर चले गए। उसी दिन शाम को उनकी मुलाकात हुई, जिसमें काफी हंसते-मुस्कुराते हुए दोनों मिले। इतना ही नहीं बाजपेयी जब एक बीमारी से ग्रसित हुए, तो उनका इलाज कराने के लिए विदेशी डेलिगेट्स में भेजा। उस समय नेहरू जी ने यह बात कही थी कि इंसान के मतों में कितना ही भेद रहे, मन भेद कभी भी किसी के साथ नहीं होना चाहिए। इस बात को हम सभी को भी अपने जीवन में उतारने की जरुरत है।
यह बातें इसलिए कि अच्छी चीजों को जीवन में आत्मसाद करना आज के समय में जरूरी है।