हमेशा से घोटाले के लिए चर्चा में रहने वाला कामधेनु यूनिवर्सिटी एक बार फिर चर्चा में है। इस बार बैक डोर से 3 कर्मचारियों की गुपचुप संविदा भर्ती की गई है। खबर है इसके लिए लेनदेन भी हुए। सारे नियम कायदे ही ताक पर रख दिए गए। बिना कार्य परिषद के अनुमोदन और स्वीकृति के संविदा में कर्मचारियों को पदस्थ करने का आदेश जारी कर दिया गया है। आदेश 12 जनवरी को जारी किया गया। इसे लेकर यूनिवर्सिटी के कुलपति और कुलसचिव की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
उपलब्ध दस्तावेजों के मुताबिक समयपाल श्रीनिवास खोसला को सेवानिवृत्ति के बाद कार्यपालन अभियंता कार्यालय कामधेनु यूनिवर्सिटी में टाइम कीपर के पद पर संविदा नियुक्ति दी गई है। नियुक्ति एक वर्ष के लिए दी गई है। इसी प्रकार केआर सोनकर जो सहायक वित्त अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुए। उन्हें स्थापना में सहायक ग्रेड 3 पर नियुक्ति दी गई है। इसी प्रकार यूनिवर्सिटी में ही केके पटेल को कुलपति के दफ्तर में पदस्थ किया गया है। तीनों नियुक्ति को लेकर नियमों का पालन नहीं किए जाने की बात कही गई है। जानकारी के मुताबिक इससे पहले भी तीन लोगों को इसी प्रकार संविदा में नियुक्ति दे दी गई है। इसमें भी इसी प्रकार से नियमों की अनदेखी गई। नोटिफिकेशन तक नहीं कराया गया।
हमेशा से घोटाला-गड़बड़ी, जांच होते रही पर करवाई नहीं हुई
यूनिवर्सिटी 2012 में बनी। इसके बाद से लगातार घोटाले सामने आते रहे हैं, लेकिन करवाई कभी नहीं हुई। विभागीय मंत्रियों ने भी गंभीरता नहीं दिखाई। वर्तमान में रविंद्र चौबे मंत्री हैं। उन्हें भी शिकायत की गई लेकिन किसी मामले में जांच आगे नहीं बढ़ पाई। संविदा नियुक्ति में लेनदेन की बात सामने आने के बाद से यूनिवर्सिटी कर्मियों में भी आक्रोश बढ़ रहा है।