हिंदूवादी। न्यूज
खुद को किसान नेता के रूप में स्थापित करने संघर्षरत योगेश तिवारी को इन दिनों भाजपा में शामिल होने को लेकर लगातार कयास लग रहे हैं। पिछले कुछ समय से वे दुर्ग सांसद विजय बघेल के इर्द-गिर्द भी नजर आ रहे हैं। इसके अलावा हिंदुत्व और सनातन धर्म को लेकर भाजपा की मुहिम का कई मंचों पर उन्होंने समर्थन किया है। यहां तक देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी उन्होंने तारीफ की। आगामी दिनों में विधानसभा होने वाले हैं, ऐसे में योगेश तिवारी भाजपा के प्रत्याशी बनाए जाने की उम्मीद में है। अब तक उन्होंने भाजपा प्रवेश नहीं किया गया है, लेकिन भाजपा के एजेंडे के अनुरूप ग्रामीण क्षेत्रों में धार्मिक आयोजनों में लगातार शामिल हो रहे हैं। बता दें कि रायपुर में लंबे समय तक उन्होंने राजनीति की। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के काफी करीबी भी रहे, लेकिन उनके निधन के बाद से वे हासिए पर चल रहे हैं। इसके चलते उन्होंने रायपुर से बेमेतरा में राजनीति करने का निर्णय लिया। बेमेतरा के नेवनारा के रहने वाले योगेश कांग्रेस में रहे। इसके बाद वे जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ में भी सक्रिय रहे। वर्ष 2018 में हुए बेमेतरा विधानसभा चुनाव और अजीत जोगी के निधन के बाद उन्होंने पार्टी से किनारा कर लिया। अब स्वतंत्र रूप से किसान नेता के रूप में जगह पर बनाने के लिए संघर्षरत हैं।
दो विधानसभा चुनाव लड़ा, दोनों में हार मिली
योगेश छात्र समय से राजनीति में सक्रिय हैं। वे शुरू से रायपुर में राजनीति कर रहे थे। इस दौरान वे एनएसयूआई और प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। जोगी के करीबी होने की वजह से रायपुर में एक स्थापित राजनीतिज्ञ के रूप में उनकी पहचान रही। वर्ष 2008 में उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर रायपुर दक्षिण से चुनाव लड़ा। जहां से बीजेपी के बृजमोहन अग्रवाल ने उन्हें करारी शिकस्त दी। बृजमोहन को 65,686 वोट मिले। वहीं योगेश को महज 40,747 वोटों से संतोष करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ में शामिल होने का निर्णय लिया। कांग्रेस छोड़कर वे जनता कांग्रेस में शामिल हुए। इस बीच उन्होंने विधानसभा बेमेतरा से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। यहां 2018 में हुए चुनाव में वे तीसरे नंबर पर रहे। आशीष छाबड़ा ने 74,914 वोटों के साथ जीत हासिल की। दूसरे स्थान पर भाजपा के अवधेश चंदेल रहे। उन्हें 49,783 वोट मिले। वहीं योगेश तिवारी को महज 28,332 वोट मिले। इसके बाद से लगातार योगेश का राजनीतिक पतन जारी है। अब तक किसी बड़ी राजनीतिक पार्टी में वे नहीं हैं।
आखिर बेमेतरा में ही क्यों कर रहे प्रयास
बेमेतरा उनका गृहजिला है। हालांकि लंबे समय तक वे रायपुर में राजनीति में सक्रिय रहे। बेमेतरा के जिला बनने के बाद अब तक यहां कोई भी स्थापित नेता नहीं है। बड़े राजनीतिक चेहरे को रूप में कोई नहीं है। ऐसे में बड़े राजनीतिक चेहरे के रूप में स्थापित होने के लिए उन्होंने यह निर्णय लिया। अब कांग्रेस और भाजपा दोनों ही राजनीतिक पार्टी के स्थानीय नेताओं से उन्हें कड़ी टक्कर भी मिल रही है। कांग्रेस के सत्ता में होने की वजह से छाबड़ा का राजनीतिक कद बढ़ा है। वहीं बीजेपी से अवधेश चंदेल भी सर्वमान्य नेता रहे हैं। उन्हें स्थानीय जनता हाथों-हाथ ले रही है। उनका अपना एक जनाधार भी है। इस वजह से योगेश तिवारी को बेमेतरा में राजनीतिक स्तर पर जगह नहीं मिल पा रही है। समर्थकों की संख्या भी काफी कम है। बड़ी संख्या में बेमेतरा की राजनीति से जुड़े नेता योगेश तिवारी के रायपुर के समय की कार्यप्रणाली से भलीभांति परिचित है। आगामी दिनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसे देखते हुए इन नेताओं द्वारा अपने-अपने स्तर पर राजनीतिक बिसात तैयार करने की जुगत जारी है।