जमीन का सौदा करके पूरी रकम लेने के बाद भी नहीं कराई रजिस्ट्री, न्यायालय ने सुनाई दो साल की सजा
खंडेलवाल कालोनी निवासी रजनीश जैन ने दूसरे को बेच दी थी जमीन
दुर्ग। जमीन के विक्रय का इकरारनामा और सौदे की संपूर्ण रकम प्राप्त करने के बाद भी इकरारशुदा जमीन की रजिस्ट्री नहीं कराने के मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कुमारी प्रतिमा मरकाम ने खंडेलवाल कालोनी दुर्ग निवासी रजनीश कुमार जैन पिता रमेशचंद जैन 51वर्ष को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420 के तहत दोषी मानते हुए दो वर्ष के साधारण कारावास की सजा सुनाई है और पांच हजार रुपये के अर्थदंड से दंंडित किया है। अर्थदंड के व्यतिक्रम में अभियुक्त रजनीश जैन को दो माह के साधारण कारावास से भी दंडित किया गया है। अर्थदंड के व्यतिक्रम में दी गई सजा मुख्य कारावास से पृथक से भुगताई जाएगी।
अभियोजन से मिली जानकारी के अनुसार खंडेलवाल कालोनी दुर्ग निवासी रजनीश जैन पिता रमेशचंद जैन ने पचरी पारा दुर्ग निवासी श्रेयांश जैन पिता जे.आर.जैन के साथ 29 मार्च 2008 को ग्राम अंजोरा स्थित ख.नं. 74/3, 74/4, 74/6, 74/2, 74/7 73/2 रकबा क्रमश: ,07.9, 0.02, 0.47, 0.43, 0.47, 0.43= 2.61 एकड़ भूमि को विक्रय करने का पक्का सौदा करते हुए दो गवाहों के समक्ष सौदे की कुल रकम 19 लाख 61 हजार रु. तय किया था । इस संबंध मे दोनों के मध्य इकरारनामा निष्पादित किया गया था जिसमें दोनो क्रेता व विक्रेता ने हस्ताक्षर किए थे। इकरारनामा होने के पश्चात रजनीश जैन ने श्रेयांश जैन से सौदे की संपूर्ण रकम 29 मार्च 2008 से 31 मई 2008 तक प्राप्त कर लिया किन्तु श्रेयांश जैन व्दारा बार बार कहने के बाद भी रजनीश जैन ने जमीन की रजिस्ट्री नहीं कराई और सदोषपूर्ण हानि पहुंचाई। श्रेयांश जैन के अपने अधिवक्ता के माध्यम से इकरारनामा के अनुसार इकरारशुदा कृषि भूमि की रजिस्ट्री करवाने हेतु 12 फ रवरी 2009 को पंजीकृत डाक सेें सूचना भिजवाई इसके बाद भी रजनीश जैन ने जमीन की रजिस्ट्री नहीं कराई। परिवादी श्रेयांश जैन को बाद में यह जानकारी हुई कि अभियुक्त रजनीश जैन ने एक फ र्जी दस्तावेज तैयार कर उक्त दस्तावेज में परिवादी के फ र्जी हस्ताक्षर करते हुए कूटरचित दस्तावेज तैयार कर उसका उपयोग किया। परिवादी श्रेयांश जैन को बाद में यह भी पता चला कि अभियुक्त रजनीश जैन ने इकरारशुदा भूमि का मो. अमीन खान व लक्ष्मीकांत टावरी को पंजीकृत बैनामा के जरिए विक्रय कर दिया है। परिवादी श्रेयांश जैन ने 30 जून 2009 को अभियुक्त के कृत्य के विरुद्ध जिला पुलिस अधीक्षक को शिकायत की लेकिन पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। इसके बाद परिवादी श्रेयांश जैन ने अभियुक्त रजनीश जैन के विरुद्ध न्यायालय में धारा 415, 418, 420, 467, 468, व 471 के तहत अपराध पंजीबध्द कर दंडित किए जाने का परिवाद प्रस्तुत किया। न्यायालय ने परिवादी साक्षियों का पंजीयन पूर्व साक्ष्य अभिलिखित करने के बाद अभियुक्त रजनीश जैन के खिलाफ धारा 420 के तहत अपराध पंजीबध्द किया और साक्ष्य विवेचना व निष्कर्ष के बाद धोखाधड़ी का दोषी मानते हुए दो वर्ष के कारावास की सजा सुनाई।