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राजनीतिक संरक्षण में मीनाक्षी नगर अवैध कब्जों से अटा, सुनियोजित तरीके से नजूल की जमीन कब्जाई गई, प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल

राजनीतिक संरक्षण में मीनाक्षी नगर अवैध कब्जों से अटा, सुनियोजित तरीके से नजूल की जमीन कब्जाई गई, प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल


कांग्रेस के राज्य में सत्ता में आने के बाद मीनाक्षी नगर बोरसी में धड़ल्ले से कब्जे हुए। जहां जगह मिली राजनीतिक संरक्षण में सरकारी नजूल जमीन कब्जा ली गई। अपातियां हुई, शिकायत हुई। लेकिन कहीं कुछ नही हुआ। प्रशासन की चुप्पी भी इस पूरे मामले में राजनीतिक संरक्षण की बातों का खुलासा कर रही है। इतना ही नहीं एक मंत्री के निजी स्कूल में भी सारे नियम कायदों को तोड़कर संचालन हो रहा है। इस स्कूल ने भी कब्जा कर रखा है। इस स्कूल को भी जितनी जमीन पूर्व में आवंटित की गई गई, वह भी सवालों के घेरे में हैं। इसकी जांच भी हुई, लेकिन जांच कांग्रेस की सत्ता आने के बाद रोक दी गई। बात यही नहीं खत्म होती, मीनाक्षी नगर में मंत्री निवास के पास सीसम के पेड़ों की बलि देकर कब्जा किया। मंदिर और गार्डन के आड़ में आसपास की जमीन हथिया ली गई। और कहीं किसी ने आपत्ति तक नहीं की। तत्कालीन सांसद और वर्तमान में मंत्री के इस स्कूल को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता और वर्तमान में आम आदमी पार्टी के नेता मेहरबान सिंह ने जनदर्शन में शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि बिना बिल्डिंग परमिशन के स्कूल में निर्माण हुए। बाद में इस मामले में चुप्पी साध ली गई। इतना ही राजनीतिक संरक्षण की वजह से जो कब्जे हुए, उनमें सामाजिक संगठन भी पीछे नहीं रहे। 6 से ज्यादा समाजों ने पहले जमीन पर कब्जा किया, इसके बाद आवंटन के लिए आवेदन लगा दिया। कुछ का आवंटन हो गया है और कुछ के मामले में प्रक्रिया जारी है। इनका कहना है कि जब राजनीतिक रसूख वालों को कब्जा करने की छूट है, तो हमें क्यों नहीं।

कब्जों के चलते आदिवासी बच्चों के छात्रावास की जगह बदलनी पड़ी

बोरसी से पोटिया मार्ग पर आदिम जाति कल्याण विभाग ने प्रयास छात्रावास के लिए जगह तय की थी, पूरी प्रक्रिया हो चुकी थी, लेकिन इन्हीं राजनीति संरक्षण के कब्जों की वजह से दो साल तक छात्रावास का काम अटका रहा। बाद में जगह ही बदल दी गई। मीनाक्षी नगर में सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर भाजपा के नेता भी पीछे नहीं रहे, उन्होंने भी कुछ समाजों को संरक्षण दिया। इस वजह से किसी ने कुछ नहीं किया और कब्जा होते रहा। कांग्रेस शासन में यह संरक्षण बहुत अधिक हुआ, सारी शिकायतें दरकिनार कर दी गई। नई शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया गया । प्रशासन भी पंगु की तरह बैठा रहा। एक बार फिर नए सिरे से इस पूरे मामले की जांच की मांग उठ रही है।

बढ़ता गया साम्राज्य, पुराने सारे अपने किनारे लगा दिए गए, सरकारी नौकरी वाले बेटों को कर दिया आगे, घर बैठे उपस्थिति दर्ज हो जा रही

सत्ता की भर्राशाही एक मंत्री द्वारा इस कदर की जा रही है कि सारे नियम कायदे ताक पर रख दिए गए हैं। हम बात कह रहे हैं, दुर्ग से आने वाले इस मंत्री की चर्चा इन दिनों जोरों पर है। मंत्री बनने से पहले इनके तीनों बेटे राजनीति से कोसों दूर थे। सरकारी और बीएसपी में नौकरी बजा रहे थे। पिता भी अपने कुछ गहरे शुभचिंतकों के साथ राजनीति में सक्रिय रहे। सांसद बनने के बाद कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर जगह पाई। बाद में मंत्री बनने के बाद व्यवहार में ऐसा परिवर्तन आया की। सारे शुभचिंतकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। उनकी जगह अपने तीनों बेटों को सौप दिया गया। आज वे अपने साम्राज्य की तरह संचालन कर रहे हैं। सरकारी वेतन ले रहे हैं और पूरे समय राजनीति में सक्रिय हैं। खबर तो यहां तक है एक बेटे की उपस्थिति घर बैठे ही लग रही है। कहीं कोई कुछ बोलने वाला नहीं है। रिसाली निगम पूरा इन जनाब के इशारे पर चल रहा है।

जनता को बेवकूफ मत समझो, सब देख रही है, इस चुनाव में लेगी पूरे पांच साल का हिसाब

जनता को बेवकूफ समझने की गलती नेता न करें। वह सब देख और समझ रही है। आगामी विधानसभा चुनाव में जरूर लेगी। सामाजिक दावपेंच, विकास कार्यों के नाम पर छलावा, भ्रष्टाचार, राजनीति रसूख, भाई भतीजा वाद  वह सब कुछ देख और समझ रही है। इस चुनाव वह इसका हिसाब जरूर लेगी।