दुर्ग शहर के तीन बार के विधायक और कांग्रेस ने जिनपर भरोसा कर लगातार सातवीं बार मैदान में उतारा, 22 नवंबर को उनका जन्मदिन है। इस चुनाव में एक बार फिर उन्होंने साबित किया कि वे जनता की पहली पसंद हैं। हालांकि चुनाव परिणाम अभी नहीं आए हैं, लेकिन उनकी जीत सुनिश्चित मानी जा रही है। हम बात कर रहे हैं, विधायक अरुण वोरा की। पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के सुपुत्र अरुण में अपने पिता की झलक हर समय नजर आती है। हर समय जनता के बीच रहना, पार्टी के प्रति धैर्य और निष्ठा रखना, उनके व्यवहार में कूट कूटकर भरा है। हर समय लोगों से हंसकर मिलने वाले विधायक अरुण वोरा अपनी सादगी के लिए पूरे प्रदेश में अलग पहचान बनाए हुए हैं। 90 विधानसभा में वे एक मात्र ऐसे विधायक होंगे, जिनकी पहुंच अपने विधानसभा क्षेत्र में एक एक घर तक है। इस बात को वहां का मतदाता भी मानता है। कोई भी घटना, दुर्घटना हो, पारिवारिक कार्यक्रम हो, वोरा लोगों के बीच खड़े नजर आते हैं। हर व्यक्ति उनके इस व्यवहार से परिचित है। इस बात को मानता भी है कि यदि वोरा जी को खबर दी गई तो वे जरूर पहुंचेंगे। अपने इस व्यवहार से उन्होंने शहर में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। राजनीति को एक अलग स्तर पर लाकर खड़े कर दिया है। ताकि दूसरे भी इससे सबक ले सकें।

ऐसा नहीं है कि वोरा का विरोध नहीं है, लेकिन विरोध करने वाले वो लोग हैं, जो अति महत्वाकांक्षी हैं। उन्हें अपने प्रतिष्ठा का लालच है। वोरा उनसे भी सहजता से व्यवहार किया। उनकी गलियां सुनी, उनकी आलोचना झेली। कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने उनका खुलकर विरोध किया, लेकिन वोरा के व्यवहार के सामने वे हार गए और उनके साथ हैं। राजनीति में हर किसी को सफलता मिले, यह जरूरी नहीं, लेकिन काम करते रहना चाहिए, इन्हीं विचारों के साथ वोरा फिर मैदान में हैं। अपने आलोचकों की आंखों की वे किरकिरी बने हुए हैं। ये आलोचक वे हैं, जो कभी उनके अपने होने का दंभ भरा करते थे, लेकिन स्वार्थ में उन्होंने इस चुनाव उनके खिलाफ काम किया। हालांकि जनता वोरा के साथ आज भी है।

विरोधी भी उनके मुरीद, प्रदर्शन स्थल तक पहुंच गए

विधायक के व्यवहार से विरोधी भी उनके मुरीद हैं। पिछले कुछ समय से भाजपा उनके खिलाफ प्रदर्शन करते रही है। वोरा खुद उन प्रदर्शनों में पहुंचे। सहर्ष उनके ज्ञापन लिए, उन समस्याओं का निराकरण कराया, ऐसा एक बार नहीं, कई बार कर चुके हैं। नाराजगी के साथ उनके पास आने वाले हर व्यक्ति की समस्या को वे शालीनता से सुनते हैं। सामने वाले का गुस्सा शांत कराते हैं और समस्या के निराकरण का प्रयास करते हैं। शहर में पिछले 10 साल में हुए हर विकास कार्य में उनकी अहम भूमिका रही है। हर समय वे शहर की समस्याओं के बीच खड़े नजर आए हैं।

उनका मानना है कि उनके माता पिता के ही संस्कार हैं, जो वे ये सब कर पा रहे हैं। वोरा ने कहा कि उनके पिता माननीय मोतीलाल वोरा हमेशा कहते थे कि जनता ही भगवान है। इस भगवान की हर समय सेवा हमारा दायित्व है। उन्होंने को सिखाया, उसे ही मैं आगे बढ़ा रहा हूं…