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भिलाई-चरोदा निगम में मोदी गारंटी नहीं भूमाफियाओं की बोली गारंटी चल रही

भिलाई-चरोदा निगम में मोदी गारंटी नहीं भूमाफियाओं की बोली गारंटी चल रही


प्रदेश के इस निकाय में भाजपा के स्लोगन ” हमने ही बनाया है हम ही संवारेंगे ” के उलट यहां हमने ही कब्जाया है, हम ही इसे लूटेंगे ” वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। निगम की आवासीय भूमि और व्यवसायिक परिसर की नीलामी में भू- माफियाओं, जनप्रतिनिधियों और अधिकारी व कर्मचारियों के बंदरबांट वाली नीति ने यहां के आम शहरियों और साधारण व्यवसायियों के भूमि स्वामी बनने के सपनों को चकनाचूर कर दिया है। यह केवल आज की बात नहीं है बल्कि इस कार्य को बरसों से योजनाबद्ध ढंग से संगठित अपराध की तरह अंजाम दिया जा रहा है। जब कभी भी आम शहरी या व्यवसायियों द्वारा इसका विरोध किया गया तो इन लोगों को डरा धमकाकर या तो चुप करा दिया गया या अपनी शर्तों में महंगे दामों पर उन जमीनों को खरीदने को मजबूर किया गया। बीते 3 और 4 दिसंबर को भिलाई- चरोदा निगम के सभागार में आयोजित नीलामी में शासकीय रिक्त भूमि के कब्जाधारित लोगों का बोलबाला रहा। इसमें ज्यादातर भू-माफियाओं और दलालों ने ही संगठित होकर बोली लगाई जबकि आम बोलीदाता को हिस्सा लेने नहीं दिया गया।
इस मामले में जानकारी मिली है कि निगम में स्थापना समय से काबिज वर्तमान सम्पदा प्रभारी राजू वर्मा की मुख्य भूमिका है। इन सभी क्षेत्रों में पहले तो वह एक टोकन राशि लेकर भूमी दलालों से कब्जे करवाता है और नीलामी समय से पहले उच्चाधिकारियों और तात्कालिक जनप्रतिनिधियों को इस योजना में शामिल कर भूमी नीलामी के माध्यम से उन्हें कब्जे दिलवाता है। 3 और 4 जनवरी को हुई नीलामी में इसी नीति के तहत योजनाबद्ध रूप से इस भूमि घोटाले को अंजाम दिया गया। इसमें कुछ लोगों को हिस्सा लेने से यह कहकर रोक दिया गया की इसमें केवल कब्जाधारी ही बोली लगा सकते हैं। इस सारे खेल को बड़े ही नाटकीय ढंग से अंजाम दिया जाता है ताकि सारी प्रक्रिया एकदम सामान्य नजर आए। उदाहरण स्वरूप अगर एक भूमि के टुकड़े की कीमत 3 लाख रू है तो उससे 10 प्रतिशत धरोहर राशि जमा करवाकर बोली शुरू की जाती है, इस तरह 3.50 लाख की भूमि को ये कब्जेधारी मात्र 10 प्रतिशत जमा करके संगठित होकर ले लेते हैं और उच्चतम बोली के बाद उसे तीन गुने चौगुने दाम में जरूरतमंद आम शहरी को बेच देते हैं जो पहले ही बोली में हिस्सा लेने से वंचित हो चुका होता है।
इस मामले में आश्चर्यजनक पहलू यह है कि राजू वर्मा पूर्व के साड़ा कार्यकाल से लेकर आज पर्यन्त तक यहां पदस्थ है। इसका अंतर्विभागीय स्थानांतरण भी पूर्व के भाजपा सरकार में एक बार हुआ था परन्तु कुछ समय बाद वह पुनः अपनी मनपसंद कुर्सी पर काबिज होने में सफल हो गया था। ज्ञात हो कि राजू वर्मा पूर्व साड़ा सदस्य, पूर्वकालिक पालिका उपाध्यक्ष व वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ राधेश्याम वर्मा का छोटा भाई है एवं वर्तमान निगम में उसका पुत्र सोमनी वार्ड से पार्षद है। बताते हैं कि इसने वसुंधरा नगर, मानसरोवर कॉलोनी, विश्व बैंक कॉलोनी और निवास ग्राम सोमनी में करोड़ों की सम्पत्ति बना ली है। स्थानीय लोगों ने इसकी संपत्तियों की जांच की मांग की है और प्रदेश के माननीय राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उप मुख्यमंत्री व नगरीय निकाय प्रभारी विजय शर्मा से अभी की गई समस्त नीलामी को निरस्त करने एवं सन 2000 में नगर पालिका परिषद के गठन से लेकर अब तक हुए तमाम नीलामी में अपनाई गई प्रक्रियाओं की जांच सहित नीलामी उपरांत के उन लाभार्थियों के जांच की मांग की है।