पिछले पांच दिनों से चखना सेंटर और शराब दुकानों के आसपास के अहाता पर प्रशासनिक कार्रवाई ताबड़तोड़ जारी है। इस कार्रवाई ने अहाता और चखना सेंटर के नाम पर चल रहे बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है। हर एक चखना सेंटर अहाता से 5 हजार से 25 हजार रुपए प्रतिदिन की उगाही हो रही थी। ये पैसे सीधे कांग्रेस नेताओं के जेब में जा रहे थे। इस काम में पार्टी के जिला स्तर के बड़े पदाधिकारी, मंत्री के करीबी, जनप्रतिनिधि के भाई सीधे संलिप्त थे। इस काम में विद्युत नगर में निवासरत एक महिला अधिकारी के पिता द्वारा भी अहाता का संचालन किए जाने की बात सामने आई है। इस प्रकार दुर्ग और भिलाई में चखना सेंटर और अहाता के नाम पर एक बड़ा नेक्सेस चल रहा था, जिसका भंडाफोड़ प्रशासनिक कार्रवाई में हुआ है। प्रशासन ने अब तक नामों का खुलासा नहीं किया है, लेकिन एक रिपोर्ट जरूर तैयार की जा रही है, जिसमे कांग्रेस के इन सारे नेताओं के नामों की सूची तैयार की जा रही है। इस सूची को शासन को भेजा जाना है। सूची में ज्यादा नाम भिलाई के कांग्रेस नेताओं के हैं। प्रशासन अब यह पता लगाने का प्रयास कर रही है की इतना बड़ा नेकसेस किसके इशारे पर तैयार किया गया।
चखना सेंटर और अहाता में अवैध निर्माण, प्रतिबंधित पानी पाउच का धड़ल्ले से उपयोग
चखना सेंटर में घटिया स्तर की खाद्य सामग्री शराब प्रमियों को उपलब्ध कराई जा रही थी। यह तक जिस पानी पाउच पर प्रतिबंध लगाया गया था, वह भी यहां आसानी से उपलब्ध है। सामान की कीमत भी सामान्य जगहों से दो से तीन गुना तक ज्यादा वसूले जा रहे थे। इस प्रकार इन चखना सेंटरों की आड़ में स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ किया जा रहा था, जिस पर कहीं कोई कार्रवाई प्रशासन और आबकारी विभाग द्वारा अब तक नहीं की गई थी। चारों तरफ सेटिंग से यह सारा काम चल रहा था। चखना सेंटरों पर हुई कार्रवाई से यह पूरा मामला सामने आ गया है।
पूरे प्रदेश में चल रहा था खेल, अंकुश लगाने की जरूरत
चखना सेंटरों की आड़ ने लाखों रुपए के बंदरबाट का यह खेल दुर्ग जिले में ही नहीं पूरे प्रदेश में चल रहा था। सत्ता में बैठे कांग्रेस के माननीयों के इशारे और संरक्षण में यह काम फल फूल रहा था। 34 जिलों में औसतन 25 चखना सेंटर संचालित हो रहे थे। इन सेंटरों से हर दिन चार से पांच लाख रुपए तक जुटाए जा रहे थे। इसमें सभी का हिस्सा था। अब इस पर अंकुश लगा गया है। भविष्य में इस पर अंकुश लगे रहे, इसकी जरूरत है।
अहाता सिस्टम बंद हो, प्रशासनिक दखल बढ़े
अहाता के आड़ में चल रहे इस खेल पर अंकुश लगाने की मांग उठने लगी है। पिछले कुछ समय से यह कारोबार तेजी से फलफूल रहा है। इस प्रशासनिक दखल की मांग उठने लगी है। राजनीतिक रसूख रखने वालों को इससे दूर करने की मांग शुरू हो गई है। इसकी पुनरावृत्ति न हो इसके लिए नियम बनाने की जरूरत है। भाजपा शासन भी इस तरफ ध्यान दे। अन्यथा आज कांग्रेस नेताओं ने ऐसा किया, कल भाजपा के नेता भी इसमें संलिप्त नजर आयेंगे।