भाजपा के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और पार्टी पदाधिकारी दुर्ग निगम की कार्यप्रणाली और राज्य शासन के कामों पर कमियां गिना रहे हैं। विशेष रूप से दुर्ग में ऐसा देखने में आ रहा है, लेकिन इन कमियों को गिनाने के बाद हर मुद्दे में चुप्पी साध रहे हैं। जनता से जुड़े अधिकांश मामलों में ऐसा ही किया जा रहा। शनिवार को पुनः पूर्व सभापति दिनेश देवांगन ने गौरवपथ के घटिया निर्माण का मुद्दा उठाया। उन्होंने आंदोलन की चेतावनी तक दे डाली। उनका आरोप है कि कार्य की गुणवत्ता बेहद खराब है, उन्होंने इसके शिकायत भी आयुक्त से की है। इन सबके बीच इसे मुद्दा भी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पहले भी वे पीएम आवास, पानी के मुद्दे पर आवाज बुलंद कर चुके हैं। जल संकट को लेकर जून तक नए मोटर लगने का आश्वासन भी मिला, लेकिन दो महीने बाद भी मोटर नही लग पाए हैं, समस्या जस के तस है। उन्होंने जाति प्रमाण पत्र का विषय उठाया, पेंशन से जुड़े मामले की शिकायत की, लेकिन इन मामलों में आखिर हुआ क्या, यह कभी भी स्पष्ट नहीं हो पाया। उनकी शिकायतों में जांच और उसकी रिपोर्ट कभी सामने नहीं आती। न ही कोई कार्रवाई होती। आखिर क्यों, इस पर भी सवाल उठने लगे हैं। एक बार उन्होंने सड़क के घटिया निर्माण का मुद्दा उठाया है। सड़क का घटिया निर्माण अलग से नजर आ रहा है, लेकिन इस मामले में अब तक न कोई जांच कमेटी गठित की गई, न ही दबाव बनाया गया है। पूरा सिस्टम इस मामले में लीपापोती में जुटा हुआ है। बता दें कि भाजपा द्वारा निगम में घोटाले, गड़बड़ी को लेकर लगातार अलग अलग मुद्दा पर प्रदर्शन किया जा रहा है, लेकिन किसी भी मामले में कार्रवाई को लेकर दबाव नहीं बनाया जा रहा।
इन मुद्दों पर भाजपा नेताओं की चुप्पी
– अमृत मिशन योजना, 154 करोड़ की योजना में अनगिनत लापरवाही और गड़बड़ी हुई, करहीडीह पानी टंकी निर्माण के दौर भारभराकर गिर गई थी, पुरानी गंज मंडी टंकी में काम के दौरान दरार सामने आए। आज भी 40 प्रतिशत पुराने कनेक्शन से पानी सप्लाई हो रही। जबकि नई पाइप बीच चुकी है। डेढ़ साल से ज्यादा समय से काम देरी से चल रहा है। और भी कई खामियां सामने आई, पर ध्यान नहीं दिया गया।
– ठगड़ा बांध, 16 करोड़ का प्रोजेक्ट 4 साल बाद भी अधूरा है। इस अधूरे निर्माण का ही मुख्यमंत्री के हाथो लोकार्पण करा दिया गया। विधायक अरुण वोरा ने अपनी निधि से 2 करोड़ देने की घोषणा की, ब्याज और डीएमएफ से भी कुछ राशि जुटाने की बात कही गई, पैसा नहीं मिला। 14 वें वित्त आयोग से 8 करोड़ मिले थे, उनसे ही काम कराया गया है। दूसरे चरण का काम फंड की वजह से अटक गया है। इस पर छुपी है।
– 24 और 42 एमएलडी फिल्टर प्लांट में ओटोमेटिक क्लोरिनेशन सिस्टम होने के बाद भी एलम का उपयोग कर पानी को शुद्ध किया जा रहा, इससे मनुष्य को काफी नुकसान है, बावजूद इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया गया। आज भी वही स्थिति बनी हुई है। 42 एम एल डी इंटकवेल में नए मोटर आज तक फिट नहीं हो पाए हैं।
– गड्डे वाली सड़कों के मेटेनेंस को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही
– गौरव पथ में घटिया स्ट्रीट पोल का मामला
– सिंडीकेट बनाकर ठेका जारी किए जाने का मुद्दा, हर ठेका चहेतों को जारी किया जा रहा