झारखंड के तीर्थ के लिए राजस्थान में मुनि ने प्राण त्यागे, गुजरात में सड़क पर सैलाब, इधर आंदोलन हुआ और तेज
72 साल के मुनि सुज्ञेय सागर महाराज 9 दिन से आमरण अनशन कर रहे थे
जैन तीर्थ सम्मेद शिखर, यानी पारसनाथ पहाड़ी पर्यटन मुक्त कराने का आंदोलन तेज
झारखंड स्थित जैन समुदाय के तीर्थस्थल सम्मेद शिखर को पर्यटन मुक्त कराने के लिए अनशन पर बैठे मुनि सुज्ञेय सागर ने मंगलवार को प्राण त्याग दिए। 72 साल के मुनि सुज्ञेय सागर झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ 25 दिसंबर से जयपुर में आमरण अनशन (संलेखना व्रत) कर रहे थे। सांगानेर संघी जी मंदिर से उनकी डोल यात्रा निकाली गई। जयपुर के सांगानेर में समाधि दी गई। अब एक और मुनि के आमरण अनशन पर बैठने की चर्चा है। मुनि आचार्य शशांक ने बताया कि जैन समाज अहिंसक तरीके से आंदोलन कर रहा है। अगर झारखंड सरकार ने फैसला वापस नहीं लिया तो आने वाले दिनों में जैन समाज उग्र आंदोलन को मजबूर होगा।
दरअसल, झारखंड सरकार ने गिरिडीह जिले के पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल घोषित किया है। पारसनाथ पहाड़ी को जैन समाज सर्वोच्च तीर्थ मानता है। सरकार ने इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए 250 पन्नों का एक मास्टर प्लान तैयार किया है। सरकार का दावा है कि इससे नागरिक सुविधाएं बढ़ेंगी, ताकि यहां ज्यादा से ज्यादा लोग घूमने आ सके।
आस्था बनाए रखने के लिए झारखंड सरकार को फैसला बदलना चाहिए
आचार्य विद्यासागर महाराज ने कहा कि हर तीर्थ श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र होता है। आस्था बनाए रखने के लिए तीर्थस्थलों की पवित्रता बरकरार रखनी होगी। झारखंड सरकार को पर्यटन स्थल बनाने का फैसला वापस लेना चाहिए।’जैन समाज की आशंका- अपवित्रता फैल सकती है। सम्मेद शिखर पर जैन समाज का पवित्र तीर्थ शिखरजी है। यहां जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने निर्वाण प्राप्त किया। 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी यहीं निर्वाण प्राप्त किया। जैन समाज को आशंका है कि पर्यटन बढ़ने पर मांस-मदिरा बिकने से अपवित्रता फैलेगी।
सुज्ञेय सागर महाराज को जयपुर के सांगानेर में मंगलवार को समाधि दी गई।
मौन प्रदर्शन
जैन समाज के सभी वर्गों के करीब 15 हजार लोगों ने सूरत में मंगलवार को मौन प्रदर्शन किया। गुजरात सरकार ने जैन धर्म से जुड़े मुद्दों काे हल करने के लिए टीम गठित करने की घोषणा की।