– ऐन विधानसभा चुनाव से करीब सालभर पहले भाजपा ने जिस ओम माथुर को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया, उन्हें जीत का असली चेहरा माना जा रहा है। गुमनामी के बीच रहने वाले ओम माथुर ने वो काम कर दिखाया, जिसकी किसी ने उम्मीद भी नहीं की थी। पहले छत्तीसगढ़ के 90 विधानसभा में घूम-घूमकर नेताओं और पब्लिक से फीडबैक लिया। इसके बाद घोषणा पत्र समिति सदस्यों के चर्चा कर मिले फीडबैक को घोषणा पत्र में उतारा। टिकट वितरण में भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने 55 नए चेहरे मैदान में उतारे, जिनमें से 35 ने जीत हासिल की। शेष में पुराने चेहरों पर भरोसा जताया, उनमें से 20 जीतने में सफल रहे। इस प्रकार कांग्रेस को चारों खाने चित्त करते हुए धूल चटाई। अब पूरे छत्तीसगढ़ में उनके नाम का डंका बज रहा है।
राजस्थान से आते हैं ओम माथुर
ओम माथुर मुख्य रूप से राजस्थान राज्य से आते हैं। राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से आदेश मिलते ही वे छत्तीसगढ़ पहुंच गए। वे राजस्थान से ही राज्यसभा के सांसद हैं। इससे पहले वे राजस्थान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। छत्तीसगढ़ के प्रदेश प्रभारी बनाए जाने से पहले ओमप्रकाश माथुर उत्तर प्रदेश के प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इसके पहले वे गुजरात व महाराष्ट्र के प्रभारी रह चुके हैं। वे राजस्थान के पाली जिले की बाली तहसील के फालना के पास बेडल गांव के रहने वाले हैं। राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से बीए की पढ़ाई की। इसके बाद वे भाजपा के दिग्गज नेता भैरों सिंह शेखावत के संपर्क में आए। साथ ही आरएसएस से भी जुड़े। इसके बाद से वे लगातार काम करते रहे। उनकी दूरदर्शिता के चलते उन्हें पार्टी ने कई बड़ी जिम्मेदारी दी है।
मोदी के करीबी लोगों में से एक
ओम माथुर गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी के साथी रहे। उनकी पहचान मोदी के अच्छे दोस्तों के रूप में है। मोदी के खास और उनके पुराने साथी रहने के कारण ओम माथुर की अच्छी पैंठ भी है। ओम माथुर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। साल 2008 से 2009 तक राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे हैं। माथुर को साल भर पहले ही छत्तीसगढ़ की कमान सौंपी गई। इसके पहले वे 9 राज्यों में प्रभारी रह चुक हैं। सभी में भाजपा जीतती रही है। मोदी ने ओम माथुर को लेकर कहा था कि मैं और हमारे ओम माथुर ऐसे लोग हैं, जो सालों से संगठन का काम कर रहे हैं। कंधे पर थैला लटकाकर बसों में जाना और पार्टी का काम करना। चुनाव प्रबंधन भी देखते रहे। पीएम की तारीफ के बाद यह स्पष्ट हो गया कि वह माथुर उनके करीबी नेता है। ओम माथुर पार्टी के जुझारु और समर्पित कार्यकर्ता माने जाते हैं। उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि जहां भी चुनाव में बीजेपी फंसती दिखती है, तो उसे सुलझाने की जिम्मेदारी ओम माथुर को दी जाती है।